Exit Poll 2019 Analysis | General Election 2019 Survey
जनमत सर्वेक्षण या आम बोलचाल में कहे तो EXIT POLL :
इस लेख में आप पढ़ेंगे :
- लोक सभा आम चुनाव 2014 के अंतिम परिणाम
- उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव
- बिहार विधानसभा चुनाव 2015
- 2019 का सेमीफइनल
- राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018
- छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018
जनमत सर्वेक्षण या आम बोलचाल में कहे तो EXIT POLL जिसके अंतर्गत चुनावी मतदान के पहले नाना प्रकार के टीवी चैनल्स माइक कैमरा लेकर युद्ध स्तर की तैयारियों समेत सड़कों पर उतर जाते हैं और प्रिय पार्टी जीत की घोषणा चुनाव आयोग से पहले ही कर देते हैं अगर सारा काम न्यूज़ रूम में बैठे पत्रकार ही कर लेंगे तो संविधान निर्माताओं ने चुनाव आयोग जैसे संवैधानिक निकाय की शुरुआत ही क्यों की इन आंकड़ों पर एक बार नजर डालिए।
यह लोक सभा आम चुनाव 2014 के अंतिम परिणाम है :
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यह रहे 2014 के जनमत सँग्रह :
credit : wikipedia |
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यह उच्च कोटि के न्यूज़ एजेंसियों द्वारा करवाये गए जनमत संग्रह है। जिसमे कुछ नतीजो को छोड़कर शेष में से कोई भी असल नतीजों के नज़दीक भी नज़र नही आता।
राजनीतिक गलियारों में इसे ही लहर कहा जाता है।
★ चलिए आप जनमत संग्रह करवाते हैं वहां तक तो ठीक है मगर आप खुद को Kingmaker साबित कर रहे हैं यह बात अच्छी नहीं लगती। लोकतंत्र का असल अर्थ ही यही है कि—
“जनता का-जनता के लिए-जनता के द्वारा” और आप इस भावना के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और इसकी सबसे बड़ी कमी यह लगती है कि यह जनमत संग्रह जो न्यूज़ एजेंसीया करवाती है वह महज़ 2 से 4 हजार लोगों पर या अधिकतम 15 से 20 हज़ार लोगों की राय पर आधारित होता है और यह राज्य के करोड़ों लोगों के आने वाले 5 साल की भविष्यवाणी कर देते हैं। इससे होता यह है की जो मतदाता एक समय के लिए पार्टी A का समर्थन कर रहा होता है वह मीडिया चैनलों द्वारा बनाए जा रहे हैं एक भ्रामक माहौल के कारण अपना विचार बदल देता है और पार्टी B की ओर अग्रसर हो जाता है। इनसे बेहतर तो यह हो की हो की सर्वे की जगह सरकार का 5 साल का रिपोर्ट कार्ड दिखाया जाये वो भी लगातार।
★उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव :
उत्तर प्रदेश चुनाव के नतीजे किस से छुपे हैं एक पार्टी विशेष के प्रचंड बहुमत के कारण न्यूज़ चैनलों के पॉलिटिकल पंडितों के होश उड़ गए जिस पार्टी को किसी भी सर्वे में 300 के आंकड़े तक भी पहुंचता हुआ नहीं दिखाया गया अंतिम परिणाम में वो भीमकाय बहुमत के साथ 325 सीटें निकाल ले गई और उस समय की तत्कालीन सरकार को सभी सर्वे में विजेता पार्टी के खिलाफ एक प्रबल दावेदार बताया जा रहा था अंतिम परिणामों में उस प्रबल दावेदार की हवा निकल गई।
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★ बिहार विधानसभा चुनाव 2015
एक नजर 2015 बिहार के चुनाव पर यहां शत्रुघ्न सिन्हा के होने के बावजूद बीजेपी की इतनी बुरी हालत होगी यह खुद BJP ने भी नहीं सोचा था खैर बाद में सुशील मोदी इत्यादि की जबरदस्त राजनीतिक सूज बूज के कारण नितीश बाबू के साथ गठबंधन कर अंत में बीजेपी सत्ता में आ ही गई।
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★ 2019 का सेमीफइनल :
अब आ जाते हैं हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में जिन्हें 2019 का सेमीफाइनल भी कहा गया। देर सवेर ही सही मगर कांग्रेस ने इन परिणामों में बाजी मार ही ली पर इन परिणामों को आप कांग्रेस की जीत से बेहतर अगर बीजेपी के खिलाफ आमजन का गुस्सा कहेंगे तो ज्यादा सटीक रहेगा आंकड़े आपके सामने आप खुद निर्णय ले सकते हैं पर उससे पहले कुछ प्रमुख सर्वे देख लेते हैं जो कि अंतिम परिणामों के बाद बुरी तरह धराशाई हुए इस सर्वे की मानें तो शिवराज सिंह चौहान को फिर से ताज पहना दिया जाए उन्होंने मुख्यमंत्री घोषित कर दिया जाए मगर असल परिणाम आपके सामने हैं और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कांग्रेस के कमलनाथ है
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★ राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 :
यह सर्वे मेरे गृह राज्य राजस्थान का है परिणाम तो उसी दिन तय हो गया था जिस दिन अमित शाह को मजबूरन फिर से वसुंधरा राजे को ही मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित किया गया वरना मैं आपसे दावे के साथ कह सकता हूं अगर केंद्रीय संगठन ने राजस्थान में मुख्यमंत्री का चेहरा बदल दिया होता तो नतीजे आज कुछ और ही होते पर आप राजस्थान में सचिन पायलट की मेहनत को भी नकार नहीं सकते सचिन पायलट वाकई करिश्माई नेता है।
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★ छत्तीसगढ़ :
छत्तीसगढ़ में भी जिस प्रकार का मुकाबला सर्वे के द्वारा बताया गया ऐसा कुछ नहीं हुआ और बीजेपी वहां बुरी तरह हारी है।
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अंत में निष्कर्ष यही निकलकर सामने आता है कि यह तथाकथित जनमत संग्रह कम और न्यूज़ एजेंसियों द्वारा बनाए गए भ्रामक विज्ञापन ज्यादा लगते हैं जिसमें आपको ₹10 के चिप्स के पैकेट में मात्र ₹3 के चिप्स बाकी ₹7 की हवा भर कर पेश की जाती है।
अंत में फैसला आपका है सरकार का चुनाव करने से पहले सर्वे का नहीं सरकार के काम का आकलन करें।
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