MASOOD AZHAR GLOBAL TERRORIST | मसूद अज़हर अंतराष्ट्रीय आतंकी घोषित
मसूद अज़हर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने के बाद मोदी का बयान "आगे-आगे देखिये होता है क्या" इसके क्या मायने हो सकते है -----
इस
लेख में आप पढ़ेंगे :
- आतंक विरोधी घोषणाओं का लांच पैड
- अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित होने के बाद क्या क्या प्रतिबंध लगाए जाते हैं
- मसूद अजहर पर यूएन के प्रतिबंधों के बाद भारत की भूमिका
- एक दशक बाद आखिर चीन क्यों झुका
- भारत को इस सफलता के लिए क्या कीमत चुकानी पड़ी
मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की 1267 कमिटी द्वारा अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करवाने के बाद भारत की क्या भूमिका
रहेगी ?
पहले हम कुछ तथ्यों को देख लेते हैं
राजस्थान बना आतंक विरोधी घोषणाओं का लांच पैड
:
- पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक की गई
उसकी पुष्टि राजस्थान के चूरू से की गई।
- मसूद पर भारत की इस अभूतपूर्व कूटनीतिक जीत की
पुष्टि भी राजस्थान से ही जयपुर रैली में की गई
- 1999 के करगिल हमले के बाद भी राजस्थान के सीकर जिले में
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने इस उपलब्धि की घोषणा की
- वर्ष 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण के समय भी संपूर्ण
देशवासियों के लिए इस खुशी की घोषणा राजस्थान की धरती से ही की गई।
अंतरराष्ट्रीय
आतंकी घोषित होने के बाद क्या क्या प्रतिबंध लगाए जाते हैं ———
- दुनिया भर में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों में
अजहर की एंट्री बैन
- किसी भी देश में आर्थिक गतिविधि नहीं कर सकेगा
- संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश अजहर के बैंक
अकाउंट और प्रॉपर्टी फ्रीज़ करेंगे
- पाक को मसूद के कैंप और मदरसे बंद करने पड़ेंगे
मसूद अजहर पर यूएन के प्रतिबंधों के बाद भारत की भूमिका
★ UN
के सदस्य देशों में अजहर की एंट्री पर बेन ::
इस प्रतिबंध के कारण भारत को अतिरिक्त फायदा भी
हासिल हुआ है कि यदि मसूद किसी कारणवश फंडिंग जुटाने के लिए या अन्य किसी काम से
यदि पाकिस्तान से बाहर निकलता है तो संबंधित देश से संपर्क कर भारत के पास उसे धर
दबोचने का सफलतम मौका होगा।
★ पाकिस्तान को आतंकी राष्ट्र घोषित करवाना ::
पाकिस्तान में अब तक कुल 22 आतंकवादी संगठनों
की शिनाख्त की जा चुकी है एवं साथ ही साथ 139
पाकिस्तानियों को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों की
सूची में शामिल किया जा चुका है इनमें कुछ प्रमुख है हाफिज सईद, दाऊद इब्राहिम वह
हालिया जेश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर। इसी के साथ संयुक्त राष्ट्र ने हाफिज सईद
के मिली मुस्लिम लीग और जमात-उद-दावा को भी ग्लोबल आतंकी संगठन घोषित किया था एवं
लश्कर-ए-तैयबा भी इस सूची में शामिल है।
★ लादेन की मौत मरेगा मसूद ::
- जी हां, आज के नए भारत में सब कुछ संभव है
- जब भारत के सैनिक पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल
स्ट्राइक करके दिलेरी के साथ बिना किसी भी नुकसान के वापस आ सकते हैं।
- जब भारतीय वायुसेना के जंगी जहाज 71 के युद्ध के बाद पहली बार
पाकिस्तान में घुस कर एयर स्ट्राइक कर सकते हैं तथा घुसकर मार भी सकते हैं।
- जब आज का भारत दशकों पुरानी मजबूरी की बेड़ियों
को तोड़कर सिंधु जल संधि को तोड़ने की बात कर सकता है।
- पाकिस्तान का पानी बंद करने की खुलेआम चेतावनी दे सकता
है।
तो आपको क्या लगता है क्या भारत भी अमेरिका की
तरह पाकिस्तान के अंदर घुसकर मसूद अजहर, हाफिज सईद जैसे आतंकियों को मारने की बात नहीं
सोच सकता और मैं आपको आश्वस्त करता हूं केवल कुछ समय और इंतजार कीजिए यह भी संभव
होगा।
एक दशक बाद आखिर चीन क्यों झुका ?
जैसा की सर्वविदित ज्ञात है चीन द्वारा
पाकिस्तान में वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट के तहत चाइना - इकोनॉमिक कॉरिडोर ही बनाया
जा रहा है जोकि चाइना की महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण कड़ी
है इसी कारण पाकिस्तान को यह लगता है कि उसकी आर्थिक समस्याओं को दूर करने के लिए
चीन उसकी मदद कर रहा है मगर दरअसल सारा खेल तो तेल का है
दरअसल चीन जनसंख्या और क्षेत्रफल दोनों की
दृष्टि से काफी बड़ा देश है इसी कारण चीन की ईंधन खपत भी कई गुना ज्यादा है तो वह
खाड़ी देशों से कम से कम समय में न्यूनतम माल भाड़ा खर्च पर तेल खरीदना चाहता है
जिससे CPEC के माध्यम से चीन के झिनझियांग प्रान्त से होते हुए पाकिस्तान के ग्वादर
बंदरगाह से तेल भंडार वाले खाड़ी देशों तक जल्द से जल्द पहुंचा जा सके
अब इन सब बातों से एक बात निकलकर सामने आती है
की यह सारी आकांक्षाएं तभी संभव है जब CPEC
का सफलतापूर्वक संचालन हो सके उचित संचालन तभी
संभव है जब इसमें पाकिस्तान का पूर्ण समर्थन हो यहां एक बात याद रहे यहां
पाकिस्तान से मेरा अर्थ पाकिस्तान सरकार के समर्थन से नहीं बल्कि पाकिस्तान के
वास्तविक संचालक वहां के आतंकवादी संगठन अलगाववादी संगठन तथा वहां की ISI से है।
यह एक बहुत बड़ा कारण है जिस वजह से चीन ने एक
दशक तक आतंकी मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित होने से बचाए रखा क्योंकि अगर
चीन ऐसा नहीं करता तो वहां के आतंकी संगठन चीन के खिलाफ मोर्चा खोल देते और CPEC की धज्जियां उड़ा
देते साथ ही साथ चीन के उईगर मुस्लिमों के पक्ष में भी समर्थन करने लग जाते
अब सवाल यह आता है
इतने गंभीर मुद्दे होने के बावजूद चीन संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के आगे क्यों
झुक गया ?
इसका सबसे बड़ा कारण है चीन का पाकिस्तान में
निवेश
क्योंकि चीन ने पाकिस्तान में 7 लाख करोड रुपए का
निवेश किया हुआ है और चीन भविष्य की समस्याओं से अवगत हो चुका है इसी कारण चीन ने
भारत की बढ़ती ताकत को भाप लिया और मजबूरन चीन ने यह कदम उठाया क्योंकि वह भली
भांति जानता है क्युकी वह ऐसा नहीं करता तो इसके बाद भारत का
कदम क्या होता।
हाल ही में आपने पढ़ा होगा की भारत समेत अनेक
आतंक विरोधी देशों ने मिलकर
अंतर्राष्ट्रीय संस्था FATF द्वारा पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट सूची में
डलवाने के लिए जबरदस्त प्रयास किए थे। इन्हीं प्रयासों
के कारण पाकिस्तान आज भी ग्रे लिस्ट से निकल नहीं पाया और ब्लैक लिस्टेड होने का
खतरा अभी भी उस पर बरकरार है। तो इस बात की भी पूरी संभावना थी कि भारत अपने बढ़ते
प्रभुत्व से सहयोगी देशों के साथ मिलकर पाकिस्तान को FATF द्वारा ब्लैक
लिस्टेड करवा कर आतंकवादी राष्ट्र घोषित कर देता और यदि ऐसा हो जाता तो चीन का
पाकिस्तान में लगाया गया निवेश घाटे का सौदा साबित हो जाता इसी कारण चीन ने
पाकिस्तान को मसूद अजहर की कुर्बानी देने के लिए पाक को मनाया और CPEC को बचाने के लिए
मसूद अजहर की कुर्बानी दे दी गई।
भारत को इस सफलता के लिए क्या कीमत चुकानी पड़ी ?
जी हां बिल्कुल संयुक्त राष्ट्र में सुरक्षा परिषद की 1267 कमेटी द्वारा मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित
करवाने के लिए भारत को भी एक बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है और वह है ईरान से तेल खरीद
को बंद करना
जैसा की सर्वविदित है अमेरिका को आदत है दूसरों
के फटे में टांग डालने की तो वह इतने बड़े मुद्दे से कैसे पीछे रह जाता और इस बात
के शाट प्रतिशत सम्भावना है की अमेरिका ने भारत से कहा
कि हम मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने में आपकी पूरी सहायता करेंगे मगर बदले में आपको हमारी सहायता के तहत ईरान से तेल व्यापार बंद करके सऊदी व अन्य अमेरिका समर्थित राज्यों से तेल खरीदना होगा साथ ही अमेरिका ने भारत को यह भी ऑफर दिया कि यदि वह चाहे तो अमेरिका से भी तेल खरीद सकता है
इसके लिए अमेरिका भारत को नुकसान से बचाने के
लिए अपना माल भाड़ा खर्च भी कम कर देगा वह भारत को ईरानी तेल के दामों में ही तेल
बेचने के लिए तैयार है इसी आधार पर भारत को अमेरिकी सैंक्शन के बावजूद भी 6 महीने तक की मोहलत
दी गई मगर अंततः कुछ दिनों पहले ही भारत ने ईरान से तेल खरीदना बंद कर दिया और
उसके बाद का परिणाम आप सब लोगों के सामने हैं अमेरिका ने सुरक्षा परिषद के अपने
साथियों ब्रिटेन में फ्रांस के साथ मिलकर मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित
करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया।
Your conclusions are logical & trustworthy.
ReplyDeleteShubham bhai Digital Soft Hub karke mera channel hai, blog bhi banaya tha, ... Aap mujhe inke bare me bhi guide kariyega, because aapka yah blog behad shandar hai
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